ritikal ki visheshataen || रीतिकाल की विशेषताएं
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प्रश्न; रीति शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
अथवा”
रीति काव्य के लक्षण लिखिए।
रीतिकाल किसे कहते है?
रीतिकाल (Ritikāla) एक संस्कृत शब्द है, जिसे हिंदी में “रीति” (शैली) और “काल” (काल) का मिश्रण कहा जा सकता है। इस शब्द का अर्थ होता है “काव्य या साहित्यिक शैली का युग”। रीतिकाल को हिंदी साहित्य के एक विशेषकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो आमतौर पर 17वीं से 18वीं शताब्दी के बीच का काव्य साहित्य को दर्शाने के लिए उपयोग होता है।
रीतिकाल के दौरान, भारतीय साहित्य में मुख्य रूप से ब्रज भाषा में रचित काव्य और साहित्यिक कृतियों की विशेषताएं प्रकट हुईं। इस काल में भक्ति साहित्य, पद, दोहे, छंद, गीत आदि का विकास हुआ और कवियों ने प्रेम, भक्ति, प्राकृतिक दृश्यों, और धर्मिक विषयों पर अपने काव्य में गहराई और भावनाएं व्यक्त कीं।
रीतिकाल में मशहूर कवियों में सूरदास, तुलसीदास, बीहारीलाल और कृष्ण दास शामलू हैं। इन कवियों ने अपने काव्य में भगवान कृष्ण, राम, और भक्ति भावनाओं को मध्यस्थ करते हुए रीतिकाल से आश्य हिन्दी साहित्य के उस काल से है, जिसमे निर्दिष्ट काव्य रीति या प्रणाली के अंतर्गत रचना करना प्रधान साहित्यिक प्रवृत्ति बन गई थी।
“रीति” “कवित्त रीति” एवं “सुकवि रीति” जैसे शब्दों का प्रयोग इस काल मे बहुत होने लगा था। हो सकता है आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी ने इसी कारण इस काल को रीतिकाल कहना उचित समझा हो। काव्य रीति के ग्रन्थों मे काव्य-विवेचन करने का प्रयास किया जाता था। हिन्दी मे जो काव्य विवेचन इस काल मे हुआ, उसमे इसके बहाने मौलिक रचना भी की गई है। यह प्रवृत्ति इस काल मे प्रधान है,लेकिन इस काल की कविता प्रधानतः श्रंगार रस की है। इसीलिए इस काल को श्रंगार काल कहने की भी बात की जाती है। “श्रंगार” और “रीति” यानी इस काल की कविता मे वस्तु और इसका रूप एक-दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए है।
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रीतिकाल काव्य की विशेषताएं ( ritikal kavya ki visheshataen )
रीतिकाल, जो आमतौर पर 17वीं से 18वीं शताब्दी के बीच के हिंदी साहित्य को दर्शाने के लिए उपयोग होता है, कविता, काव्य, और साहित्य के कई महत्वपूर्ण विशेषताओं को प्रगट करता है। यहां कुछ मुख्य रीतिकाल की विशेषताएं हैं:
1. भक्ति और प्रेम का प्रधान विषय:
रीतिकाल में भावनाओं की गहराई, भक्ति और प्रेम का महत्वपूर्ण स्थान है। कवियों ने अपने काव्य में भगवान कृष्ण, राम, और भगवान के लीला और गुणों की प्रशंसा करते हुए उनकी भक्ति और प्रेम को व्यक्त किया।
2. प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन:
रीतिकाल के कवियों ने प्राकृतिक दृश्यों का विवरण किया है। वे पहाड़ियों, नदियों, फूलों, पक्षियों, वृक्षों और मौसम के विविध पहलुओं को सुंदरता से चित्रित करते हैं।
3. संगीतमय छंद और गीत:
रीतिकाल के कवियों ने अपने काव्य में संगीतमय छंद और गीत का विस्तार किया है। वे पद, दोहे, छंद आदि का उपयोग करके रसभरे और संगीतमय रचन त्वय्यादिगुण जैसे अलंकारों के माध्यम से अपनी कविताओं को सजाया है। इन्हें पाठकों द्वारा सुनी और गाई जाने वाली कविताओं की एक विशेषता है।
4.. आदर्शवाद:
रीतिकाल के कवियों ने आदर्शवाद को महत्व दिया है। उन्होंने मानवीय गुणों, नैतिक मूल्यों, और धार्मिक मार्गों को प्रशंसा की और जीवन के आदर्शों को व्यक्त किया।
5. उदात्तता:
रीतिकाल के कवियों ने अपने काव्य में उदात्तता को प्रमुखता दी है। वे उच्च साहित्यिक भाषा और गरिमा के साथ उच्च काव्य को व्यक्त करने का प्रयास करते हैं।
6. सांस्कृतिक संदर्भ:
रीतिकाल के कवियों ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म को अपने काव्य में निहारा है। वे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को अपनी कविताओं में प्रदर्शित करते हैं और उन्हें प्रमुखता देते हैं।
7-प्रकृति चित्रण–
रीतिकालीन कवियों ने प्रकृति के सुंदर चित्र खीचें हैं।
8- रीति का प्रयोग-
इस युग के कवियों ने रीति परंपरा को अपनाया है जैसे- नायिका भेद, सौंदर्य वर्णन, लौकिक शृंगार आदि प्रमुख हैं।
9-मुक्तक शैली का प्रयोग-
रीतिकालीन कवियों ने अपनी रचनाओं के लिए मुक्तक शैली का विशेष प्रयोग किया है।
10- अलंकारों का प्रयोग-
रीतिकाल के अधिकांश कवियों ने अपनी रचनाओं में अलंकारों का खूब प्रयोग किया है।
11- छंदों का प्रयोग-
इस युग के कवियों ने छंदों के प्रयोग से कविता को कठिन कर दिया है।
12- ब्रजभाषा का प्रयोग-
रीतिकाल के कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं के लिए ब्रजभाषा का प्रयोग किया है।
13- अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन-
रीतिकाल के कवियों ने नायिका के सौंदर्य को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया है।
14-श्रृंगार के दोनों पक्षों का चमत्कार वर्णन-
इस काल के कवियों ने अपनी रचनाओं के दोनों पक्षों संयोग और वियोग शृंगार का वर्णन किया है।
ये थीं कुछ मुख्य विशेषताएं जो रीतिकाल को विशेष बनाती हैं। यह काल भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण भाग है और उसकी साहित्य अध्ययन करने से आपको रीतिकाल के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त हो सकती है। रीतिकाल के कविताओं, कवियों और उनकी रचनाओं के अध्ययन के माध्यम से आप इस काल की और विशेषताओं के बारे में अधिक जान सकते हैं। इसके अलावा, कई पुस्तकों, लेखों और शोध पत्रिकाओं में भी रीतिकाल पर विस्तृत विचारों और विश्लेषणों को देखा जा सकता है। साहित्यिक आधार परिचयों और विद्यालयों में शिक्षा द्वारा भी आप रीतिकाल के बारे में और गहराई से समझ सकते हैं।
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रीतिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
1- बिहारी- बिहारी सतसई
2- भूषण- शिवराज भूषण, शिवाबवनी, छत्रसाल
3- मतिराम- रसराज, ललित ललाम
4- देव- भाव विलास, भवानी विलास
5- पद्माकर– जगत विनोद, गंगा लहरी
6- घनानन्द- सुजान सिंह, इश्क लता
7- सेनापति- कविरात्नाकर, काव्यकल्पद्रुम
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